बैठा ड्योढ़ी साँझ की, सोच रहा आदित्य। बैठा ड्योढ़ी साँझ की, सोच रहा आदित्य। निकट अगर अवसान हो, कौन करे आतिथ्य।। © सीमा अग्रवाल मुरादाबाद