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8 Jan 2018 · 1 min read

…बे-वक्त मचलती लहरें…

मचलती उन लहरों का,
गुम था किनारा कहीं…
बदलते उन शहरों का,
सूना था नजारा कहीं…
हाँ बेवक्त उन पहरों का,
सबब था मुनासिब कहीं…
बिखरती उन सहरों का,
इंतज़ार था मुझे भी कहीं…
बीती रात मुलाक़ात का,
एहसास था साँसों में कहीं…
नशा तेरी उन आँखों का,
महज़ इक धोखा था कहीं….
#जज़्बाती…
#rahul_rhs
#AloneDreamNotes_

Language: Hindi
1 Like · 415 Views
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