बेहिसाब सवालों के तूफान।
अरसे बाद वो मिला चेहरे पर झूठी मुस्कान लिए।
अपनी नज़रों में बेहिसाब सवालों के तूफान लिए।।
जो गया था हमको छोड़कर खुश रहने के लिए।
वो दिखा हमें नज़रों में अश्कों का आसमान लिए।।
मुद्दतों बाद वो मिला भी तो मिला किस हाल में।
जिंदगी दिख रही थी बर्बादियों का सामान लिए।।
हमे क्या मालूम था कि वो भी है साजिशों में शामिल।
हम थे जिनकी खातिर हथेली पर अपनी जान लिए।।
अब तक गफलत में जी रहे थे मंजिल कैसे मिलती।
अंधेरी रातों में निकले थे बिना जली मशाल लिए।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ