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7 Aug 2023 · 1 min read

” बेशुमार दौलत “

पतझड़ के मौसम में अबकी
सावन बन छा जाने दो

‘प्रेम’ दोस्तों का देखेंगे
दुश्मन को आ जाने दो

आशिक़ हैं सब फूलों के
कांटों की चुभन बताने दो

मिलेंगे उल्फत में उनसे
सूरज को ढल जाने दो

चमक दिखेगा चेहरे पर
हमदम को मेरे आने दो

चांद हसीं हो जब इतना
नज़रों से तीर चलाने दो

हुस्न दिया है जब रब ने
तो, थोड़ा सा इतराने दो

बेशुमार दौलत है उसकी
“चुन्नु” लुत्फ उठाने दो —

•••• कलमकार ••••
चुन्नू लाल गुप्ता-मऊ (उ.प्र.)

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