Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
24 Nov 2020 · 3 min read

बेशर्मी के लिए नशा बहुत जरूरी है जनाब…

सुशील कुमार ‘नवीन’

आप भी सोच रहे होंगे कि भला ये भी कोई बात है कि बेशर्मी के लिए नशा बहुत जरूरी है। क्या इसके बिना बेशर्म नहीं हुआ जा सकता। इसके बिना भी तो पता नहीं हम कितनी बार बेशर्म हुए हैं। हमारे सामने न जाने कितनी बार अबला से छेड़छाड़ हुई है और हम उसे न रोककर तमाशबीन बन देखते रहे। न जाने कितने राहगीर घायल अवस्था में बीच सड़क पर तड़पते मिले और हम ग्राउंड जीरो से रिपोर्टर बन उसकी एक-एक तड़प का फिल्मांकन करते रहे। क्या ये बेशर्मी का उदाहरण नहीं है। और छोड़िए, किसी मजबूर लाचार की मदद न कर उसका उपहास उड़ाकर हमने कौनसा साहसिक कार्य किया।

जनाब हम जन्मजात बेशर्म है। कुछ कम तो कुछ जरूरत से ज्यादा। हमारी हर वो हरकत बेशर्मी है। जो हमें सुख की अनुभूति कराती रही और दूसरे को पीड़ा। ये नशा ही तो है जो हमें बेशर्म बनाता है। नशा पद, प्रतिष्ठा, सत्ता का ही सकता है। नशा समृद्धि-कारोबार का हो सकता है। नशा हमारी मूर्खता भरी विद्वता का भी हो सकता है। नशा हमारे भले और दूसरे के बुरे वक्त का भी हो सकता है। सिर्फ खाने-पीने का ही नशा नहीं होता। नशा हर वो चीज है जो हमे राह से भटकाता है।

अब इसका दूसरा पहलू लीजिए। हम बेशर्म हीं क्यों बनें। क्या इसके बिना काम नहीं चल सकता। इसका जवाब होगा कतई नहीं। जब तक आप होश में होंगे कोई भी ऐसी हरकत नहीं करेंगे जिस पर आपका मजाक बन सकता है। शर्म-झिझक के चलते जिससे आप आंख नहीं मिला सकते। मन की बात कह नहीं सकते। एक पैग अंदर जाते ही वही डरावनी आंखें ‘ समुंद्र’ बन जाती है और आप तैरना न जान भी उसमें डूबने को तैयार हो जाते हैं। इस दौरान आप न जाने, क्या चांद, क्या सितारे सबकुछ जमीं पर लाने का दावा कर जाते हैं। ये तो भलीमानसी होती है सामने वाली की, की वो आपसे सूरज की डिमांड नहीं करती। अन्यथा आप तो उसका भी वादा कर आते।

अब आप हमारे सितारों को ही लीजिए। पुरुष होकर नारी वेश धारण कर आपका भरपूर मनोरंजन करते हैं। कभी दादी कभी,नानी बन मेहमानों से फ्लर्ट करते हैं तो कभी गुत्थी बन ‘हमार तो जिंदगी खराब हो गई’ डायलॉग मार विरह वेदना का प्रस्तुतिकरण करते हैं। कभी सपना बन मसाज के मेन्यू कार्ड की चर्चा करते हैं तो कभी पलक बन अपने संवादों से हमें लुभाते हैं। आपके सामने वो सब हरकतें करतें हैं जिसे सपरिवार देखने की हमारी हिम्मत नहीं होती। फिर भी हम उनकी सारी बेशर्मी को दरकिनार कर उन्हें ललचाई नजरों से न केवल देखते हैं अपितु ठहाके भी लगाते हैं । क्योंकि हम भी तो बेशर्म हैं। स्वाद का नशा हम पर हावी रहता है।

अब वो थोड़ा नशा गांजा, कोकीन,सुल्फा आदि का कर भी लें तो कोई गुनाह थोड़े ही है। अपनी बेइज्जती करवाकर आपको हंसाना कोई सहज काम थोड़े ही है। ये तो वही काम है कि भरे बाजार मे पेटीकोट-ब्लाऊज पहना कोई आपको दौड़ने को कह दे। विवाह शादी में पत्नी की चुन्नी ओढ़ कर ठुमके तभी लगा पाते हो जब दो पैग गटके हुए हो। नागिन डांस में जमीन पर भी ऐसे लोटमलोट नहीं हो सकते। अब बेचारा कपिल हवाई उड़ान में किसी से लड़ पड़े या भारती के पास गांजा मिल जाये तो हवा में न उड़िये। नशे में हम सब हैं। क्योंकि बिना नशे के हम बेशर्म हो ही नहीं सकते। नशा न होता तो हम सबको अच्छे-बुरे सब कर्मों की फिक्र होती जो वर्तमान में हमें नहीं है। तो सबसे पहले अपने नशे की खुमारी उतारिये फिर दूसरों के नशे पर चर्चा करें।

नोट: लेख मात्र मनोरंजन के लिए है। इसका किसी के साथ व्यक्तिगत सम्बन्ध नहीं है।

लेखक:
सुशील कुमार ‘नवीन’, हिसार(हरियाणा)
लेखक वरिष्ठ पत्रकार और शिक्षाविद है।
96717-26237

Language: Hindi
Tag: लेख
285 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
उनकी आंखो मे बात अलग है
उनकी आंखो मे बात अलग है
Vansh Agarwal
मुग़ल काल में सनातन संस्कृति,मिटाने का प्रयास हुआ
मुग़ल काल में सनातन संस्कृति,मिटाने का प्रयास हुआ
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
😢
😢
*प्रणय*
चित्र और चरित्र
चित्र और चरित्र
Lokesh Sharma
बहुत कीमती है पानी,
बहुत कीमती है पानी,
Anil Mishra Prahari
लिखना पूर्ण विकास नहीं है बल्कि आप के बारे में दूसरे द्वारा
लिखना पूर्ण विकास नहीं है बल्कि आप के बारे में दूसरे द्वारा
Rj Anand Prajapati
मुक्कमल कहां हुआ तेरा अफसाना
मुक्कमल कहां हुआ तेरा अफसाना
Seema gupta,Alwar
" क़ैद में ज़िन्दगी "
Chunnu Lal Gupta
“लिखने से कतराने लगा हूँ”
“लिखने से कतराने लगा हूँ”
DrLakshman Jha Parimal
हिन्दी ग़ज़ल के कथ्य का सत्य +रमेशराज
हिन्दी ग़ज़ल के कथ्य का सत्य +रमेशराज
कवि रमेशराज
"पुरानी तस्वीरें"
Lohit Tamta
वासुदेव
वासुदेव
Bodhisatva kastooriya
जो घटनाएं घटित हो रही हैं...
जो घटनाएं घटित हो रही हैं...
Ajit Kumar "Karn"
हम भी मौजूद हैं इस ज़ालिम दुनियां में साकी,
हम भी मौजूद हैं इस ज़ालिम दुनियां में साकी,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
पोता-पोती बेटे-बहुएँ,आते हैं तो उत्सव है (हिंदी गजल/गीतिका)
पोता-पोती बेटे-बहुएँ,आते हैं तो उत्सव है (हिंदी गजल/गीतिका)
Ravi Prakash
संवेदना का कवि
संवेदना का कवि
Shweta Soni
कहाँ चल दिये तुम, अकेला छोड़कर
कहाँ चल दिये तुम, अकेला छोड़कर
gurudeenverma198
मेरी भावों में डूबी ग़ज़ल आप हैं
मेरी भावों में डूबी ग़ज़ल आप हैं
Dr Archana Gupta
** मुक्तक **
** मुक्तक **
surenderpal vaidya
কি?
কি?
Otteri Selvakumar
*पेड़*
*पेड़*
Dushyant Kumar
बंधन में रहेंगे तो संवर जायेंगे
बंधन में रहेंगे तो संवर जायेंगे
Dheerja Sharma
23/176.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/176.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
"विडम्बना"
Dr. Kishan tandon kranti
जीवन में आप सभी कार्य को पूर्ण कर सकते हैं और समझ भी सकते है
जीवन में आप सभी कार्य को पूर्ण कर सकते हैं और समझ भी सकते है
Ravikesh Jha
बेडी परतंत्रता की 🙏
बेडी परतंत्रता की 🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
लिखा है किसी ने यह सच्च ही लिखा है
लिखा है किसी ने यह सच्च ही लिखा है
VINOD CHAUHAN
नदी तट पर मैं आवारा....!
नदी तट पर मैं आवारा....!
VEDANTA PATEL
मैं एक राह चुनती हूँ ,
मैं एक राह चुनती हूँ ,
Manisha Wandhare
भूलने की
भूलने की
Dr fauzia Naseem shad
Loading...