बेशरम
दिल ही है बेशर्म या दिलदार बेशरम।
करना नही है प्यार का व्यापार बेशरम।।
लड़ने पे है अमादा तो लड़ता नही क्योकर।
क्यों डर के भाग जाता है हर बार बेशरम।।
हर वक्त मुझसे चाहता लब चूमता रहूँ।
मुझसे भी ज्यादा लगता मेरा यार बेशरम।।
यह बात अलग है कि अभी कुछ नही हूँ मैं।
ढूंढेगा मुझको एक दिन संसार बेशरम।।
इसको ही मेरी दोस्तों तुम सल्तनत कहो।
लिखे है मैंने शे’र जो दो चार बेशरम।।