बेशक कितने ही रहें , अश्व तेज़तर्रार
बेशक कितने ही रहें , अश्व तेज़तर्रार ।
बिना सारथी लक्ष्य का, पाना अति दुश्वार ।
खड़े सभी रथ खींचने, श्वेत अश्व तैयार ।
पता नहीं फिर सारथी, क्योंकर हुआ फरार ।।
रमेश शर्मा.
बेशक कितने ही रहें , अश्व तेज़तर्रार ।
बिना सारथी लक्ष्य का, पाना अति दुश्वार ।
खड़े सभी रथ खींचने, श्वेत अश्व तैयार ।
पता नहीं फिर सारथी, क्योंकर हुआ फरार ।।
रमेश शर्मा.