बेवफा
जमाने भर के दर्द की
तर्जुमानी कैसे करू मैं !
अपना दर्द तक तो मैं
सम्भाल पाता नहीं !!
ना जाने सारी दुनिया को
अपना कह देते है है लोग !
मैं तो तुमको भी
अपना कह पाता नहीं !!
तेरी जुल्फ आज फिर
उलझ उलझ आई है !
सोचता हूँ सुलझा दू
पर हिम्मत कर पाता नहीं !!
मेरे अफसाने में तू
बेवफा ही है यकीनन !
जानता हूँ पर अपने
दिल को समझा पाता नहीं !!