बेवफा ज़िंदगी
हो गई है बता क्यों खफा ज़िंदगी
क्या खता हो गई कुछ बता ज़िंदगी
चाहते हैं सभी खुशनुमा ज़िन्दगी
दे रही है मगर क्यों सजा ज़िन्दगी
क्यों इसी से मुहब्बत हुई है हमें
यूं सदा ही रही बेवफा ज़िन्दगी
कोइ कीमत तिरी अब बची ही नहीं
आज हमको लगी बदनुमा ज़िंदगी
बोझ इसको न हरगिज़ कहो भूलकर
कीमती है खुदा की अता जिंदगी
साथ तूने किसी का निभाया नहीं
नाम ही है तिरा, बेवफा ज़िंदगी
जानते हैं तिरी ज़ेबो ज़ीनत मगर
रास्तों पर दिखी बेहया जिंदगी