बेवफाई के किस्से सुने हैं बहुत, सुनते जाओ बफाओं की बाते भी दो !
बेवफाई के किस्से सुने हैं बहुत,
सुनते जाओ बफाओं की बाते भी दो !
तुमने महफ़िल में देखे नज़ारे बहुत,
आज वीराँ में देखो बहारें भी दो,
तुमने दरिया में देखीं है लहरें बहुत,
आज गंगा के देखो किनारे भी दो
बेवफाई के किस्से सुने हैं बहुत,
सुनते जाओ बफाओं की बाते भी दो !
चाँद सूरज को तुमने है देखा बहुत,
देख लो आज नभ के सितारे भी दो,
तुमने देखे चमन में है गुल तो बहुत,
देख लो राह के बिखरे कांटे भी दो
बेवफाई के किस्से सुने हैं बहुत,
सुनते जाओ बफाओं की बाते भी दो !
वक़्त औरों को तुमने दिया है बहुत
आज अपनों को दो पल सुहाने भी दो,
शेर तुमने सुने शायरों के बहुत
सुन लो “अनुराग” के अब तराने भी दो
बेवफाई के किस्से सुने हैं बहुत,
सुनते जाओ बफाओं की बाते भी दो !