बेवफाई करके भी वह वफा की उम्मीद करते हैं
मेरी कलम से…
आनन्द कुमार
क्यों गूंजते झनकार तेरे पायलों के कान में,
क्यों चूड़ियां कराती हैं एहसास तेरी छांव में,
क्यों माथे की बिन्दियां मेरी निदियां में चमकती है,
क्यों ओठ की लाली कहती आ जाओ पास में,
बांह तेरे, तेरे बांह में जाने को क्यों आतुर है,
क्यों प्रेम कहती प्रेम है तेरे जकड़न के ठांव में,
जुल्फ तेरी उलझने देती हैं जब मुझे बार-बार,
एहसास कहता बहुत मजा है तेरे जुल्फों के छांव में,
सिलवटें बिस्तर की जब तन्हाई में बढ़ जाती हैं,
सच कहता हूं याद आती हो तुम हर तन्हा रात में,
बेवफाई करके भी वह वफा की उम्मीद करते हैं,
सोचता हूं छोड़ दूं बात प्रेम और सौहार्द की।