बेवफ़ा से प्यार
जो तुमने मुझे सहारा दिया होता
आज भी मैं तुम्हारे पास ही होता
नहीं डूबता गहरे समंदर में
आज भी लहरों पर सवार ही होता।।
क्या हालत है मेरी धोखा खाकर
मेरी हालत देखने आया तो होता
फिक्र नहीं तुझे मेरी जानता हूं
इंसानियत का धर्म निभाया तो होता।।
बिताए थे साथ जो लम्हें हमने
उनको काश तुमने भुलाया न होता
एक हसीन जिंदगी जीने का मुझे
ख्वाब काश तुमने दिखाया न होता।।
इतने गम दिए है तूने मुझे
फिर भी लगता है तू मेरे साथ ही होता
भर जाते ये मेरे ज़ख्म भी
तूने कभी मरहम लगाया तो होता।।
जो झूलता है आजकल गैरों की बाहों में
ये चेहरा पहले कभी दिखाया तो होता
आ जाती असलियत मेरे सामने पहले तो
तुमको अपने इस दिल में बसाया न होता।।
रहते हम भी सुकून से आज
अगर तुमको अपना बनाया न होता
ज़ख्मी न होता ये दिल आज
इसने अगर धोखा तुमसे खाया न होता।।
सोचता हूं ये भी मैं कभी
अगर सच सामने आया न होता
अनजान रहकर आज भी
मैं एक बेवफा के प्यार में होता।।
अच्छा हुआ जो दिल आज टूट गया
आज नहीं, कभी तो ये ज़रूर ही होता
बढ़ जाती नजदीकियां और तो
दिल का ज़ख्म और भी गहरा होता।।