“बेल की महिमा”
विटामिन्स, मिनरल्स का,
रब्त नहीं बेमेल।
पेक्टिन, म्यूसीलेज,फ़ाइबर,
सबकी रेलमपेल।
शरबत, पना, मुरब्बा, बर्फ़ी,
टॉफी हैं पचमेल l
बेलपत्र शिव पर चढ़ें,
मिटते पाप अझेल ll
पियो शिकँजी प्रेम से.
खाकर लय्या-भेल।
बवासीर के रोग पर.
फ़ौरन कसे नकेल।।
व्याधि, व्यग्रता से कहो,
जाकर लाए तेल।
रोगों की हर युक्ति ज्यों,
लगे, हो गई फेल।।
कितना भी मन को लगे,
गयी छूट अब रेल।
पर यौवन की वृद्धि कर,
तुरत कराता मेल।।
वृद्ध व्यक्ति भी जोश मेँ,
रहा कबड्डी खेल।
क़ब्ज़, दस्त, हर मर्ज़ मेँ,
राहत देता बेल..!
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