बेरोजगार
बेरोजगार
++++++
महसूस होता है
धरती का भार हूॅं
मैं बेरोजगार हूॅ
मां-बाप के सपनों का
लिया हुआ उधार हूॅं
मैं बेरोजगार हूॅ
बहन की शादी के
टूटे सपने का कांच हूॅं
मैं बेरोजगार हूॅं
सिफारिश घूंस बिना
बेपता तार हूॅ
मैं बेरोजगार हूॅं
दोस्त देख जिसे
कतराते वही राह हूॅं
मैं बेरोजगार हूॅं।
_
निशि सिंह