बेरोजगार युवाओं का दर्द।
लोगों को और कब तलक उल्लू बनाओगे?
कब तलक ये धर्म के झगड़े कराओगे?
भक्ति हो मन में राम तो फिर कुछ ना चाहेंगे,
कब तलक ये लाखों दियाली जलाओगे?
वोटों की राजनीति को मन से विदा करो,
शिक्षा के मंदिरों को पुजारी अदा करो,
अश्कों को पोंछकरके भुखमरी सफा करो,
इस देश से बेकारी को अब तो दफा करो।।
वरना समझ लो लौट करके फिर ना आओगे,
चौबीस में ही मुंह के बल गुलाटी खाओगे,
आंखों से अश्क को भी तुम बहा न पाओगे,
वोटों की राजनीति फिर से कर ना पाओगे।।
लेखक/कवि
अभिषेक सोनी “अभिमुख”
ललितपुर, (उत्तर–प्रदेश)