बेरोजगारी
बेरोजगारी
एम ए, बी एड डिग्री लेकर, रुपया ना एक कमाया है
भाग्यहीन और कर्म का मारा, मैरिट में ना आया है ।
धक्के खाकर बार-बार, जूता उसने घसवाया है
मायूस होकर चपरासी का, फॉर्म भी भरवाया है ।।
गरीब के घर में जन्मा बालक, बहुत घना पछताया है
कोचिंग ट्यूशन जा नहीं सकता, उस में चाहिए माया है ।
डिग्री कि अब पूछ नहीं, उस पर हार चढ़ाया है
बेरोजगारों के साथ देखो, सरकार ने मजाक बनाया है ।।
दीन हीन ने कर्जा लेकर, बच्चों को खूब पढ़ाया है
खेती-बाड़ी करके उसने, बोझा सिर पर उठाया है ।
चालीस साल बीत गए पर, आज समझ में आया है
डिग्री का कोई मोल नही, पिता भी पछताया है।।
शिक्षा की गुणवत्ता पर देखो, एक ना पैसा लगाया है
भत्ता दे- देकर सरकार ने,वोट बैंक बढ़ाया है ।
भटक रहा है आज नौजवां, देख नहीं कोई पाया है
मिलनी चाहिए नौकरी सबको, कवि ने यह समझाया है ।।