बेरोजगारी का दानव
लीक पेपर हुआ हर बार हम अधिकार खो बैठे,
युवाओं का छिना संसार हम बेरोजगार हो बैठे,
कठिन है माफिया की मार हम अधिकार खो बैठे,
अनसुनी अपनी चीख पुकार हम पतवार खो बैठे।
किया अपमान मेहनत का युवाओं की अरे किसने,
जो पेपर लीक ले आया अरे बाजार में जिसने,
हुए अरमान उनके चूर जो दिन -रात जगते थे,
हुए बगान उनके दिल जो पेपर लीक रखते थे।
प्रशासन सो रहा किस ओर जगाने वाला भी सोया,
कठिन श्रम का हुआ अपमान दुःख में आप ही रोया,
नीट हो नेट हो या फिर टेट..यही कोहराम है हर बार,
सुरक्षा क्या प्रशासन की इधर आने को है तैयार??
पहन चोगा शराफत का हम ऊपर से भले कितने,
छिपाए उर में दानव को अरे हम हैं गिरे कितने ,
युवाओं का करेंगे विकास हम हर बार कहते है,
ये परिभाषा बदलनी है छात्र स्वीकार कर बैठे।
अनामिका तिवारी “अन्नपूर्णा “✍️✍️