बेरहम दौर
बेरहम है दौर ये,जमाना बदल गया।।
दोस्त और दोस्ती का, पैमाना बदल गया।।
रिश्ते और रिश्तों को,निभाना बदल गया।।
लबों से पूछो जरा,क्यों मुस्कराना बदल गया।।
हुई क्या खता,कि याराना बदल गया।।
मिलते थे रोज जहां,वो मैख़ाना बदल गया।।
कहाँ ढूँढू तुझे दिलवर,वो ठिकाना बदल गया।।
बेरहम है दौर ये,जमाना बदल गया।।
दोस्त और दोस्ती का पैमाना बदल गया।।
बसता था प्यार जहां,वो आशियाना बदल गया।।
दिलों की चाहत,और दिल लगाना बदल गया।।
प्यार के पहरे वाला,वो हसीन थाना बदल गया।।
रूठ के मनाना,और फिर मान जाना बदल गया।।
बेरहम है दौर ये,जमाना बदल गया।।
दोस्त और दोस्ती का पैमाना बदल गया।।