बेरंग
बिन स्याही कलम बेरंग सी लगे,
तुझ बिन दुनिया बेदंग सी लगे।
अब तू साथ है तो सुकून है दिल को,
वर्ना बेदर्द सा हर दिन एक जंग सी लगे।
हर रास्ता अब तेरे घर को लाए,
मेरे घर की गलियां मुझे तंग सी लगे।
दूर होकर भी अब अकेला नहीं,
हर दम तू मुझे अपने संग सी लगे।
© अभिषेक पाण्डेय अभि