बेमौसम
वे तस्वीरें खींचते हैं मिटा देते हैं,
मुझसे एक तस्वीर मिटायी न गयीं।
दस्तक देके, इंतजार नहीं करता कोई,
यहाँ उम्र कट गयी किसी इंतज़ार में ।
किस तरह जल्दी, शाख से पत्ते बिछड़ गये!
पतझड़ का मौसम बेमौसम आ गया ।
वे तस्वीरें खींचते हैं मिटा देते हैं,
मुझसे एक तस्वीर मिटायी न गयीं।
दस्तक देके, इंतजार नहीं करता कोई,
यहाँ उम्र कट गयी किसी इंतज़ार में ।
किस तरह जल्दी, शाख से पत्ते बिछड़ गये!
पतझड़ का मौसम बेमौसम आ गया ।