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16 Aug 2021 · 1 min read

बेमौसम बरसात

आप के चले जाने के बाद खींच लाई
आप तक आपही की याद खींच लाई

किस को जाना था मस्जिद में जनाब
एक बहुत पुरानी फ़रियाद खींच लाई

कब के छोड़ चुके हम शेर ओ शायरी
हमको तो यहाँ आपकी दाद खींच लाई

आसमान का आसरा काफ़ी था हमें तो
गैर मकाँ में बेमौसम बरसात खींच लाई

~विनीत सिंह
Vinit Singh Shayar poet

1 Like · 321 Views
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