बेमौसम के मुसाफिर…….!
आज सर्द इतना बेदर्द हो चला
गर्मी का वो हमदर्द हो चला।।
मुसाफिर थका है यूं कि क्या बोले
ना धूप भा रहा ना ही उसे छांव भा रहा।।।।।
आज सर्द इतना बेदर्द हो चला
गर्मी का वो हमदर्द हो चला।।
मुसाफिर थका है यूं कि क्या बोले
ना धूप भा रहा ना ही उसे छांव भा रहा।।।।।