वे मिशाल भोपाल
मेरा शहर शान ए शहर, शहर वेमिशाल है
ये शहर वेमिशाल है, ये शहर वेमिशाल है
भोज ने बसाया, प्राचीन भोजपाल है
भोज ने बनाया, यहां प्रसिद्ध ताल है
सुंदर मनोहर, स्वच्छ भोपाल है
सोलह शैल शिखरो का, सोलह श्रृंगार है
ताल और तालियों का, पढ़ा गले हार है
हरी-भरी हैं वादियां,दृश्य शानदार हैं
हरे भरे किनारे, मौसम सदा बहार है
हर एक दिल का गीत है,हर एक दिल का प्यार है
लरज रहीं झीलों में झूमता संसार है
शिखर मंदिरों के हैं, ताजुल ए मीनार है
महल और झरोखों में, शिल्प शानदार है
प्रेम शांति और अमन से, शहर ये गुलजार है
कौमी एतिहाद का, ये शहर पैरोकार है
भोज की है अर्चना, नवाबों की अजान है
मेरा शिल्प साहित्य, विश्व में शुमार है
अजीम शायरों का शहर, शहर ये भोपाल है
सारे जहां से अच्छा, विशाल भोज ताल है
ये शहर वेमिशाल है, ये शहर वेमिशाल है
सुरेश कुमार चतुर्वेदी