*बेमिसाल दिखा गया (गीतिका)*
बेमिसाल दिखा गया (गीतिका)
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(1)
अंतिम समय में वृद्ध सूरज, यह कमाल दिखा गया
डूबता कैसे है सूरज, बेमिसाल दिखा गया
(2)
अभिमान था जिस एक तानाशाह को खुद पर बहुत
औकात उसकी एक दिन आ, क्रूर काल दिखा गया
(3)
किसकी जवानी रह सकी अक्षुण्ण धरती-लोक पर
आते बुढ़ापे की झलक को, श्वेत बाल दिखा गया
(4)
स्वर्ण किसके पास कितना है पता चलता भी क्या
जेवर चढ़ाया जब बहू को, भव्य माल दिखा गया
(5)
कुछ तो गुणीजन हस्तरेखा देखते तक भी नहीं
सब भूत और भविष्य उनको, सिर्फ भाल दिखा गया
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भाल = माथा
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रचयिता :रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451