बेबस बेटा ।
एक माँ दुनिया को छोड़ चली है अब
एक बेटा इस बात से बेख़बर है यहाँ
वो आंचल से खेलने में लगा है उसके
इधर उस माँ की लाश जमीं पे पड़ी है ।
उठ जाओ न ए माँ मुझें कौन संभालेगा
अपने हाथो से अब कौन खिलाएगा
मैं तो इस बात से वाकिफ़ भी नही हु
तू चली जाएगी तो मुझें बेटा कौन बुलाएगा ।
किसकी ज़िम्मेदारी है ये जो तुझे मरने दिया
कौन था वो जिसने घर मे नही रहने दिया
दर्द पीड़ा तो तू झेलती ही आयी थी
इस दर्द को तुम्हें किसने नही सहने दिया ।
– हसीब अनवर