बेबस था इतिहास
वाहियात बातें करें,….रहें उगलते आग !
सुर साधो उनके लिए, जैसा उसका राग !!
नेताजी की सुन रहे , जहाँ सभी बकवास !
वादे सहमें से दिखे….बेबस था इतिहास ॥
करें सियासत राज्य में, सत्ता के गठजोड़ !
दर्द बढे तब राष्ट्र का, …..रोएं कई करोड़ !!
रमेश शर्मा