बेबस गरीब
बेबस गरीब
गरीब आदमी तो बेबस है
बस नारा खायेगा।
जो गरीबों का कर्णधार,
वो चारा खायेगा।
खेल,रेल,कोयला अभिशापम
कहीं टॉपर तो कहीं व्यापम।
मंदिर,मस्जिद और देवालय।
खानेवाले खा गए शौचालय।
हुआ है बंटाधार, आधार,
अब क्या वो बेचारा खायेगा?
-©नवल किशोर सिंह