बेबसी
यूँ तो,इश्क आसमां का भी, हुआ था जमीं से
‘इजहार ए मोहब्बत ‘किया, अश्कों की नमी से
पर समझ ना पाये,आज तलक भी बेबसी फलक की
और पड़ा नाम बरसात, इस बेदर्द जहाँ की कमी से
यूँ तो,इश्क आसमां का भी, हुआ था जमीं से
‘इजहार ए मोहब्बत ‘किया, अश्कों की नमी से
पर समझ ना पाये,आज तलक भी बेबसी फलक की
और पड़ा नाम बरसात, इस बेदर्द जहाँ की कमी से