Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
2 May 2024 · 1 min read

बेबसी

दर्द जाए न बेबसी जाए !
कैसे आँखों से फिर नमी जाए!!

ये ज़रूरी नहीँ जुबां बोले !
बात आँखों से’भी कही जाए !!

आस की लौ भला जले कैसे !
आग दिल की अगर बुझी जाए !!

आरज़ू गर तुम्हें अमीरी की !
गैर- मुमकिन है बेकली जाए !!

रात बीती हुआ उजाला अब !
वक्त की धार यूँ बही जाए !!

इस मुसाफ़िर की’अर्ज़ है इतनी !
अनकही दास्तां सुनी जाए !!

धर्मेंद्र अरोड़ा “मुसाफ़िर”
संपर्क सूत्र:9034376051

Language: Hindi
30 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
2702.*पूर्णिका*
2702.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
मेरी फितरत
मेरी फितरत
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
"हास्य व्यंग्य"
Radhakishan R. Mundhra
मुझे मेरी फितरत को बदलना है
मुझे मेरी फितरत को बदलना है
Basant Bhagawan Roy
डर - कहानी
डर - कहानी
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
बाकई में मौहब्बत के गुनहगार हो गये हम ।
बाकई में मौहब्बत के गुनहगार हो गये हम ।
Phool gufran
जिंदगी में रंजो गम बेशुमार है
जिंदगी में रंजो गम बेशुमार है
इंजी. संजय श्रीवास्तव
मनवा मन की कब सुने,
मनवा मन की कब सुने,
sushil sarna
मन में रखिए हौसला,
मन में रखिए हौसला,
Kaushal Kishor Bhatt
काश अभी बच्चा होता
काश अभी बच्चा होता
साहिल
मुख  से  निकली पहली भाषा हिन्दी है।
मुख से निकली पहली भाषा हिन्दी है।
सत्य कुमार प्रेमी
🙅अजब संयोग🙅
🙅अजब संयोग🙅
*प्रणय प्रभात*
*** मुंह लटकाए क्यों खड़ा है ***
*** मुंह लटकाए क्यों खड़ा है ***
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
पतझड़ से बसंत तक
पतझड़ से बसंत तक
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
बिहार के मूर्द्धन्य द्विज लेखकों के विभाजित साहित्य सरोकार
बिहार के मूर्द्धन्य द्विज लेखकों के विभाजित साहित्य सरोकार
Dr MusafiR BaithA
"कैसा जमाना आया?"
Dr. Kishan tandon kranti
नारी
नारी
Acharya Rama Nand Mandal
ਰਿਸ਼ਤਿਆਂ ਦੀਆਂ ਤਿਜਾਰਤਾਂ
ਰਿਸ਼ਤਿਆਂ ਦੀਆਂ ਤਿਜਾਰਤਾਂ
Surinder blackpen
: आओ अपने देश वापस चलते हैं....
: आओ अपने देश वापस चलते हैं....
shabina. Naaz
डर होता है
डर होता है
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
Change is hard at first, messy in the middle, gorgeous at th
Change is hard at first, messy in the middle, gorgeous at th
पूर्वार्थ
*शुगर लेकिन दुखदाई (हास्य कुंडलिया)*
*शुगर लेकिन दुखदाई (हास्य कुंडलिया)*
Ravi Prakash
सब छोड़ कर चले गए हमें दरकिनार कर के यहां
सब छोड़ कर चले गए हमें दरकिनार कर के यहां
VINOD CHAUHAN
कूड़े के ढेर में
कूड़े के ढेर में
Dr fauzia Naseem shad
सौ सदियाँ
सौ सदियाँ
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
मुखड़े पर खिलती रहे, स्नेह भरी मुस्कान।
मुखड़े पर खिलती रहे, स्नेह भरी मुस्कान।
surenderpal vaidya
क्या मथुरा क्या काशी जब मन में हो उदासी ?
क्या मथुरा क्या काशी जब मन में हो उदासी ?
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
प्रिंट मीडिया का आभार
प्रिंट मीडिया का आभार
ऐ./सी.राकेश देवडे़ बिरसावादी
लोग शोर करते रहे और मैं निस्तब्ध बस सांस लेता रहा,
लोग शोर करते रहे और मैं निस्तब्ध बस सांस लेता रहा,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
🌹ढ़ूढ़ती हूँ अक्सर🌹
🌹ढ़ूढ़ती हूँ अक्सर🌹
Dr .Shweta sood 'Madhu'
Loading...