बेपीर इसी से बना हुआ हूँ
मैं नाज़ों में पला हुआ हूँ,
सुख के साँचों में ढला हुआ हूँ।
कभी देखे नहीं दुख नहीं हुआ अधीर,
बेपीर इसी से बना हुआ हूँ।
जयन्ती प्रसाद शर्मा
मैं नाज़ों में पला हुआ हूँ,
सुख के साँचों में ढला हुआ हूँ।
कभी देखे नहीं दुख नहीं हुआ अधीर,
बेपीर इसी से बना हुआ हूँ।
जयन्ती प्रसाद शर्मा