बेटे की अरदास
हे माँ मैं तेरा लाल,
बैठ जा
कुछ बोल
पूछ तो ले
कैसा है मेरा हाल ।
बहुत देर से
मैं बैठा हूँ
तेरे आगे-पीछे
फ़िरता हूँ
बोल दो मीठे बोल ।
तेरे आँचल के
पल्लू को मैंने
बहुत हिलाया
लेकिन तू क्यूँ नहीं जागती
अपनी अखियाँ खोल ।
मैं भूखा-प्यासा बैठा हूँ
तेरे सिरहाने माँ
अब तो उठ जा
दे दे मुझको
घुट्टी या कोई घोल ।
देख कोई न सुनता है
तेरे लाला की चीखें
माँ के सिवाय
न कोई सहारा
“आघात” तू ही कुछ बोल ।