बेटी
माहिया छंद – बेटी
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( 1)
बिस्तर पर लेटी हैं,
मैं खुश किस्मत हूँ
मेरी भी बेटी हैं।
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(2)
प्राणों से प्यारी हैं,
मेरे भी घर में
इक राज दुलारी हैं।
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(3)
बागों की क्यारी हैं,
महके फूल चमन
बेटी जो प्यारी हैं।
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(4)
बेटी जो रानी हैं,
जिज्ञासा घर की
बड़ी ये सयानी हैं।
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स्वरचित©®
डिजेन्द्र कुर्रे”कोहिनूर”
छत्तीसगढ़(भारत)