बेटी
बेटी है तो जीवन में सब बहार ही बहार है ,
बेटी बिना लगता जीवन मिथ्या ही निसार है।
अतीत में झांकू तो देखू मैं बेटी ही गुलजार है,
वर्तमान कि वाह रे लीला बेटी पर अत्याचार है ।
इंसान नहीं वह दुराचारी निरा पशु समान है,
जो करता हंस हंसकर बेटी पर अत्याचार है ।
हया हवस सब भूलकर करता ईज्जत पर वार है ,
कोई ना आएगा बेटी करना तुझे ही पलटवार है।
मत भूल तू चंडी है ,तू दुर्गा है ,तू देवी का अवतार है,
फाड गला तू बता दे सबको तू शक्ति की पुकार है।
वक्ष फाड दे उस नीच का जो करता तुझे शर्मसार है,
चिंता ना कर इस हत्या की यह तो महज सहांर है।