बेटी
बेटी
तुम्हारा हँसना,
तुम्हारा खिलखिलाना,
तुम्हारा चलना,
तुम्हारा मुड़ना ,
तुम्हारा नाचना ,
बहुत दूर तक गुदगुदायेगा।
मीठी-मीठी बातें ,
समुद्र की तरह उछलना,
आकाश को पकड़ना ,
हवा की तरह चंचल होना,
बहुत दूर तक याद आयेगा ।
ऊजाले की तरह मूर्त्त होना,
वसंत की तरह मुस्काना,
क्षितिज की तरह बन जाना,
अंगुली पकड़ के चलना,
बहुत दूर तक झिलमिलायेगा।
तुम्हारे बुदबुदाते शब्द ,
प्यार की तरह दिखना ,
ईश्वर की तरह हो जाना ,
आँसू में ढलना,
बहुत दूर तक साथ रहेगा।
समय की तरह चंचल होना,
जीवन की आस्था बनना ,
मन की जननी होना,
बहुत दूर तक बुदबुदायेगा।
* महेश रौतेला
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