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14 Jan 2018 · 1 min read

बेटी

बेटी

बेटी कभी न दीजिए उस घर में श्री मान ,,,
जिस घर में खिले न बेटी की मुस्कान ।।

वो हंमारी पायल सी कली है
दहेज भेड़ियों से क्यों जली है।

बेटी है तो कल है ,,,
कब आएगी यह भी उनमें अक्ल है ।

बेटी के लिए न मुझे धन व वैभव की इच्छा है ,,
बेटी हंमारी लिए लक्ष्मी और शारदा जेसीं दीक्षा है।

बेटी से ही घर में किलकारी गुजंती है ,,
बेटी से ही गुलशन महकती है।

इसकी अजीब सी हरकते मेरे कंधे पर चढ़कर मेरे मन को हर्षाती है ,
अंगुली पकड़कर इसे चलाने पर भी, उसकी मुस्कान , खिलखिला जाती है ।।

जिस घर की बेटी रोती है ,,,
मायूसी चहरा देख कर
प्रवीण के मन में दया उभरती हैं।

✍✍प्रवीण शर्मा ताल
टी एल एम् ग्रुप संचालक
जिला रतलाम ।

Language: Hindi
453 Views
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