बेटी
माँ-बाप के दुःख में रोती है।
बेटी तो बेटी होती है।।
सेवा में दिन-रात जनक के,
सीता ही तत्पर होती है।।
मात-पिता को कष्ट न पहुंचे,
वो तन्हाई में रोती है।।
दो परिवारों के मध्य में वो,
मज़बूत सेतु-सी होती है।।
माँ-बाप के दुःख में रोती है।
बेटी तो बेटी होती है।।
सेवा में दिन-रात जनक के,
सीता ही तत्पर होती है।।
मात-पिता को कष्ट न पहुंचे,
वो तन्हाई में रोती है।।
दो परिवारों के मध्य में वो,
मज़बूत सेतु-सी होती है।।