बेटी
इज़्ज़त से इसे देखिये बेटी है किसी की
ये प्यारी सी गुड़िया है दुलारी है किसी की
नज़रों में हवस भर के इसे घूरने वालो
इस ज़िस्म में इक रूह भी रहती है किसी की
तब्दील वो तो लाश में हो जाती उसी पल
जब एक भी ऊँगली कोई उठती है किसी की
इक तीर या खंज़र से भी होती है खतरनाक
इस दिल में कोई बात जो चुभती है किसी की
अज्ञात ज़रूरी है नज़रिये को बदलना
काबिल न मुआफी के ये गलती है किसी की