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20 Feb 2024 · 1 min read

बेटी

एक बेटी जो,
आधुनिकता पर बेकाबू हैं,
फैशन के दिनचर्या पर उतारु हैं,
मनमर्जी परिवार पर हावी हैं,
शादी भी खूद की पंसद करी हैं,
पढाई में तेज होने के बहाना बनाती हैं,
अपने खर्च पर दूसरों से उग्र है ।

एक बेटी जो,
दहेज के नाम पर बलि भेंट चढ़ती हैं,
क्रूर मानवता के शिकार बनती हैं,
अपने पैरों पर खडा होने की ढोंग रचती हैं,
बेफजूल खर्च पर परनिर्भर हैं,
कमाई कुछ भी नही करती हैं,
देखाबा में छठिहार से ही अधिक बल लगाती हैं ।

एक बेटी जो,
घर से बहार निकलती हैं,
सयकडौं की नजर में अश्लील दिखती हैं,
एकान्त मे असुरक्षित है,
गिद्द नजर पुरुष की जब पडती हैं,
लोग नोच–नोच के भोग करने को आतूर हैं,
फिर भी चमक दमक कहा छोडती हैं।

एक बेटी जो,
किसी की भार्या हैं,
द्वंद्व और अत्याचार सहती हैं,
प्रतिकार पर नाना भांति भोगती हैं,
जीवन अस्तित्व के लिए लडती हैं,
पीड़ा फिर भी कम नहीं होती हैं,
अकेली एक विरंगाना सी भूमिका निभाती हैं ।

#दिनेश_यादव
काठमाण्डू (नेपाल)

#HindiPoetry

Language: Hindi
1 Like · 119 Views
Books from Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
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