बेटी
बेटी
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(लावणी छंद)
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मुझे जन्म लेने दे माता, मैं भी अंश तुम्हारी हूँ ।
बड़ी लड़ोधर मैं पापा की , घर की राजदुलारी हूँ ।।
बचा-खुचा खाकर जी लूंगी, भैया गोद खिलाऊंगी ।
एक दिवस तेरे आँगन से चिड़िया सी उड़ जाऊंगी ।।
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राधे…राधे…!
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महेश जैन ‘ज्योति’,
मथुरा !
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