बेटी
सोच में पड़े हैं लोग ये कैसा इम्तिहान है
दिल पर हाथ रख कर देखो !
बेटी भी एक वरदान है
कभी भी अलग नहीं छोड़ना,
देना उस को प्यार बराबर का
आखिरकर वो भी तो एक संतान है
मैंने देखा है एक पिता ऐसा भी
जो बेटी की आहट के बिना लगता मुझे बेजान है
सोच में पड़े हैं लोग एक ऐसा इम्तिहान है
दिल पर हाथ रख कर देखो !
बेटी भी एक वरदान है
मेहनत से लबरेज़ रहता है
जब भी मूंदकर आंखें सोचता नटखट के बारे में
हो जाता सब आसान है
मां कहूं ,दुर्गा कहूं या कहूं शेरावाली
हर दिशा में बस उसी का गुणगान है
सोच में पड़े हैं लोग ,ये कैसा इम्तिहान है
दिल पर हाथ रख कर देखो !
बेटी भी एक वरदान है
प्रवीण माटी