बेटी होने का दुख 😥
एक छोटी सी कविता आपनी बहन पर
देखो मम्मी ,नन्ही बिटिया तुमको आज बताती
जब तुम रोती रात रात भर मुझको नींद नही आती
पापा जी अक्सर देते है शाम सवेरे ताने
बात बात पर तुम्हे डाटते करके नये बहाने !
दादा दादी को भी देखा मेनै उखड़ा उखड़ा
रोज पडोसी से कहते जाके अपना दुखड़ा!!
दोष तुम्ही को सब देते है भीतर बाहर वाले
दोषी से हमदर्दी सबके कैसे खेल निराले!!
घबराती हो ताने सुन कर ,फिर भी तुम चुप रहती !
मर जाती पैदा होते ही ,कभी कभी तुम कहती
!!
हिम्मत करो और फिर देखो एक बात बतलाउ
बेटी नही किसी से कम है तुमको मे समझाऊ
मम्मी मुझको अवसर दो जग में कुछ करने का!मेरे सर पर हाथ रखो तुम गया समय अब डरने का !!
पढ लिख कर बनु मे डॉक्टर सबकी जान बचाऊ
बनु कल्पना मे भारत की ,आनतरिछ पर जाऊ
अगर कहो तो बन व्यापारि लाखों-लाख कमाऊ
बेटा कभी नही कर सकता वह करके दिखलाऊ
इस बेटी को समझो मम्मी आज कसम यह खाती !
साथ बुढ़ापे तक दुगी ,मे यह विस्वास दिलाती!!!
Samar babu kushinagar