“बेटी होना आसान नहीं”
पलक छाव में
भर कर सपने
वृहद रूप है अरमानों का
जन्म लिया उस बेबसी ने
नाम मिला मेहमानों का।
सुनकर खबर
हुए सब स्तब्ध
बेटी घर में आयी है
खुशियों का यह सबब नहीं है
दर्द भरे शहनाई है।
बचपन से ही
प्यार के बदले
भेदभाव ने घेरा है
कहते है यह घर भी अब तो
यहां ना तेरा डेरा है।
ममता की आंचल में रहना
क्या मेरा अधिकार नहीं
बेटी होकर जीना
ये तो कोई गुनाह नहीं।
भरा हुआ है स्नेह हृदय में
कुछ ममता तो दिखलाओ
अपनी ही परवरिश पर
यूं ना सवाल तुम उठाओं।