बेटी है तो कल है
बेटी है तो कल है, बेटी है तो कल है |
बिन बेटी के किसी भी घर में, रोटी है न जल है ||
बेटी है तो कल है ||
जननी बनकर दिया दुलार, भगिनी बनकर देतीं प्यार|पत्नि बनकर सजा दिया है, हर इक आँगन घर परिवार||
बिन बेटी के विधि का बनाया, ये संसार अचल है |
बेटी है तो कल है ||
ममता, दया और करुणा का, शब्दकोष में नाम न होता|
प्रेम, प्रतीक्षा, परिणय, पूजा, सुख-दु:ख का पैगाम न होता||
बेटी के अस्तित्व बिना क्या, सुन्दर क्या चंचल है |
बेटी है तो कल है ||
जब चिड़िया सी चहक उठे तो, हर घर उपवन सा हो जाता|
कोमल कंठ सुरीली वाणी, सुन मन पावन सा हो जाता||
बेटी की किलकारी से ही, अँगना में हलचल है |
बेटी है तो कल है ||
बेटी दुर्गा, लक्ष्मी,वृन्दा,और सती सावित्री सीता |
इनकी गौरव-गाथा गाते सतयुग, त्रेता, द्वापर बीता||
बेटी नीर नर्मदा का, बेटी ही गंगाजल है |
बेटी है तो कल है ||
सुन्दरता की इस मूरत को, कैसे लोग जला देते हैं |
दुनिया में आने से पहले, क्यों इसको दफना देते हैं ||
बेटी का करुणामय क्रन्दन, सुन “मनमीत”विकल है ||
बेटी है तो कल है ||