बेटी है घर की शान
बेटी है घर की शान
उसे दो घर संसार में मान
बेटी को मत कहो मासूम
बेटी तो है नौ देवी रूप
हर अवतार में है शक्ति स्वरूप
पिता ने दिया बेटी को प्यार
माँ ने दिया भरपूर दुलार
बेटी से है घर में सुखी संसार
बेटी का जितना करो
उतना कम है गुणगान
वह तो है गुणों की खान
बेटी फैहरा रही
विजय पताका दुनियां में
किसी क्षेत्र में पीछे नहीं
वो दुनियां में
बेटी है फुलवारी बगिया की
उसे मौका दो बनने
सुगंध बगिया की
स्वलिखित लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल