बेटी हमर शान
बेटी हमर शान
धागा ये हमर समाज के ,
बांधके राखथे मया ल।
अंतस म जेकर दया बसे हे,
धनवान बनाथे गरीब ल।
बड़े इरादा हे बेटी के ,
रचथे जगा-जगा इतिहास।
बेटा ला पाछू छोड़दिन,
जम्मो क्षेत्र म होवथे पास।
मत मारा अब बेटी ल,
संसार के झलक दिखा दे।
खूब दे संस्कार ओला,
पिता के फरज निभा दे ।
निकलगिस हे बेटी हमर,
दिखाही नारी शक्ति के शान।
झांसी रानी के उदाहरण बनके,
बढ़ाही हमर मन के मान।
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डिजेन्द्र कुर्रे “कोहिनूर”
पीपरभावना (छत्तीसगढ़)
मो. 8120587822