Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
28 Nov 2021 · 3 min read

बेटी शिक्षित है तो भविष्य है

डा ० अरुण कुमार शास्त्री – एक अबोध बालक – अरुण अतृप्त

बेटी शिक्षित है तो भविष्य है

वीणा की माँ बहुत बीमार थी | पिता पहले से ही बिस्तर पर थे , एक एक्सीडेंट के चलते अपाहिज | वो अकेली संतान थी , माँ ने उसको येन केन प्रकारेन , १० वी पास करा दी थी | आजकल वो पड़ोस की आंटी से सिलाई कढाई सीख रही थी , लेकिन उसका मन अपनी बचपन के खेल मुक्केबाज़ी में अटका रहता था | एक दिन जैसे ही वो सिलाई कढ़ाई वाली आंटी के घर से वापिस अपने घर आई उसने नयाल सर की बाइक अपने घर के आंगन में देखी | अंदर आई तो वो ही थे / उसके पिता के पास बैठे उनके हाल चाल ले रहे थे |
उसकी तो साँस ही रुक गई , जब थोडा सम्भली तो अंदर आ के उनके पैर छुए | इतने में उसके पिता ने उसको अपने पास बिठा के बोला बेटी तेरे गुरु जी तुझे लेने आये हैं , बोल क्या कहना है , हम दोनों को कोई आपत्ति नही |
उसको तो मानो विश्वास ही नही हुआ | उसने पिता के चरणों में सर रख दिया उसके आंसू पिता के चरण धोने लगे |
माहौल एक दम से बहुत भावुक हो गया , उसकी माँ कैसे न कैसे चल के आई उसको उठा के अपने सीने से लगा के बोली बेटी , मैं जानती थी , नयाल सर को मैंने ही बुलाया है तू अपने मकसद को अंजाम दे |
उसको तो जैसे भगवान् मिल गए | बस उस दिन से उसकी परीक्षा शुरू || प्रैक्टिस , सिलाई कढाई जिम घर के काम काज , ११ कक्षा की पढाई , साथ साथ स्पोर्ट्स कोटे की स्पेशल वजीफा दिन भर की घर की जरुरत सब पूरी होने लगी |
नयाल सर उसके लिए घर का खाना लाते थे, उनकी बच्ची भी उसके साथ ही की थी, दोनों एक क्लास में पढ़ते थे | फिर एक दिन एक प्रांतीय बॉक्सिंग का नोटिस आया उसने अपने कोच के कहने से उसमे एंट्री भर दी उसका सिलेक्शन भी हो गया ५ दिन बाद इवेंट था गोहाटी में |
उसके ६ घंटे डेली प्रैक्टिस में जाते थे| और और स्टेट लेवल के उस इवेंट में वीणा को गोल्ड मिला | उसका पहला अंतरप्रांतीय गोल्ड साथ ही डबल स्कोलरशिप केन्द्रीय इंडस्ट्रियल सिक्यूरिटी फोर्स में सह अधीक्षक की भरती के लिए निमंत्रण |
ये सब ऐसे हुआ जैसे साक्षात प्रभु ने उसके अच्छे दिनों का ऐलान कर दिया हो | एक बेटी होने के साथ उसको अपने माँ पापा को सम्भालने का भाग्य भी मिला | उसने ११ वी की परीक्षा प्रथम श्रेणी से पास की
जिस किसी भी बॉक्सिंग इवेंट में वो गई गोल्ड लेकर आई | उसकी अलमारी का एक खाना उसके मेडल्स व् प्रमाण पत्रों से भर गया था
१२ वि के मध्य में आते आते उसके सभी टेस्ट क्वालीफाई किये फिजीकल उसका फर्स्ट १० रैंक आया | और वो सी आई एस एफ में सब इन्स्पेक्टर के पद के लिए सेलेक्ट हो गई |
इन दो सालों में उसके जीवन में उसकी प्रभु की कृपा न्याल सर की कठोर प्रेक्टिस माँ पापा का भरोसा , ये सब भारत की कन्याओं को कहाँ नसीब होता है लेकिन उसको हुआ और उसने उनका पूरा सम्मान भी रखा
आज उसके माँ बाप , अपनी बेटी की बलाएं लेते नही थकते , उन्हें वो दिन खूब याद है , उनके खानदान के सभी उनसे मूह मोड़ गए थे कि, कहाँ लड़की जात को बॉक्सिंग में डाल रही है , हांध से निकल जायेगी , आज वही दबी जुबान से अपनी बेटियों को उसका उदहारण दे दे थकते नही |
उसने पढाई के साथ् साथ् नोकरी करी व अपने मन के एवेंट मुक्केबाजी में भी निपुणता हासिल की व हमेशा गोल्ड मेडल प्राप्त किया आज वो सर उठा के जीती है ||
बेटी शिक्षित है तभी तो भविष्य है ये पंक्तियाँ उसके लिए वरदान साबित हुइ है |

326 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from DR ARUN KUMAR SHASTRI
View all
You may also like:
आज  मेरा कल तेरा है
आज मेरा कल तेरा है
Harminder Kaur
अवसर
अवसर
संजय कुमार संजू
उन कचोटती यादों का क्या
उन कचोटती यादों का क्या
Atul "Krishn"
नज़र का फ्लू
नज़र का फ्लू
आकाश महेशपुरी
व्यथा दिल की
व्यथा दिल की
Devesh Bharadwaj
कलम के सिपाही
कलम के सिपाही
Pt. Brajesh Kumar Nayak
यूं ही नहीं होते हैं ये ख्वाब पूरे,
यूं ही नहीं होते हैं ये ख्वाब पूरे,
Shubham Pandey (S P)
◆केवल बुद्धिजीवियों के लिए:-
◆केवल बुद्धिजीवियों के लिए:-
*Author प्रणय प्रभात*
"अगली राखी आऊंगा"
Lohit Tamta
दोहा त्रयी. . .
दोहा त्रयी. . .
sushil sarna
भक्ति एक रूप अनेक
भक्ति एक रूप अनेक
DR ARUN KUMAR SHASTRI
हब्स के बढ़ते हीं बारिश की दुआ माँगते हैं
हब्स के बढ़ते हीं बारिश की दुआ माँगते हैं
Shweta Soni
तुम
तुम
Er. Sanjay Shrivastava
लोग जीते जी भी तो
लोग जीते जी भी तो
Dr fauzia Naseem shad
दुनिया के हर क्षेत्र में व्यक्ति जब समभाव एवं सहनशीलता से सा
दुनिया के हर क्षेत्र में व्यक्ति जब समभाव एवं सहनशीलता से सा
Raju Gajbhiye
कचनार
कचनार
Mohan Pandey
3096.*पूर्णिका*
3096.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
"शहीद वीर नारायण सिंह"
Dr. Kishan tandon kranti
पुनर्वास
पुनर्वास
Dr. Pradeep Kumar Sharma
रंगों की दुनिया में सब से
रंगों की दुनिया में सब से
shabina. Naaz
दोस्ती
दोस्ती
Rajni kapoor
ये नज़रें
ये नज़रें
Shyam Sundar Subramanian
*मोर पंख* ( 12 of 25 )
*मोर पंख* ( 12 of 25 )
Kshma Urmila
चलो कह भी दो अब जुबां की जुस्तजू ।
चलो कह भी दो अब जुबां की जुस्तजू ।
शेखर सिंह
मैं नहीं हो सका, आपका आदतन
मैं नहीं हो सका, आपका आदतन
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
रक्षाबंधन
रक्षाबंधन
Pratibha Pandey
"The Dance of Joy"
Manisha Manjari
नारी तेरी महिमा न्यारी। लेखक राठौड़ श्रावण उटनुर आदिलाबाद
नारी तेरी महिमा न्यारी। लेखक राठौड़ श्रावण उटनुर आदिलाबाद
राठौड़ श्रावण लेखक, प्रध्यापक
समर्पित बनें, शरणार्थी नहीं।
समर्पित बनें, शरणार्थी नहीं।
Sanjay ' शून्य'
*अभिनंदन के लिए बुलाया, है तो जाना ही होगा (हिंदी गजल/ गीतिक
*अभिनंदन के लिए बुलाया, है तो जाना ही होगा (हिंदी गजल/ गीतिक
Ravi Prakash
Loading...