बेटी विदा हुई हैं असर देखते हैं
सूना सा आज अपना ही घर देखते रहे
बेटी विदा हुई है असर देखते रहे
दिल पर हमारे घात लगाकर चले गए
फिरते हुए किसी की नजर देखते रहे
राहे वफ़ा में हम ने कदम तो बढ़ाये हैं
काँटों भरी डगर थी मगर देखते रहे
कल तक थी जो झील सी निर्मल हमारी चाह
आज बनते हुए उसी को शरर देखते रहे
होने लगा हैं नश्शा कँवल आज कैसा ये
चेहरे पे आशिक़ी का असर देखते रहे