बेटी बचाओ बेटी पढाओ
समय विकट है मानव अस्तित्व संकट में है,
खुद जागो और ओरो को भी जगाओ।
हो रही भ्रूण हत्या घट रहा अनुपात इनका,
हो जाएगा खत्म घर संसार सबको बताओ।
सहारा भी माँ बाप का दूसरे घर की लक्ष्मी भी,
दो घरों की शान हैं इस शान को ओर बढाओ।
बेटे समान है ये किसी तरह से भी कम नहीं,
जीवन के हर क्षेत्र में काबिल है सबको बताओ।
बेटी को कम न समझो भली भाँति जान लो,
आवश्यकता है महत्व समझो और समझाओ।
होती गर बेटी पैदा घर में खूब खुशी मनाओ,
सबकी भलाई इसी में बेटी बचाओ बेटी पढाओ।
अशोक छाबडा
28052016