बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ
यूं न बुझाओ मुझे ,
कि मैं एक जलता दिया हूं ।
एक नन्ही सी परी हूं,
एक प्यारी सी चिड़िया हूं।।
अपनी मधुर आवाज से,
सारा आंगन महका दूंगी।
चीं ची करके सारे घर को,
खुशियों से बिखरा दूंगी।।
इस दुनिया में आने का,मुझे भी मौका तो दो।
भ्रूण हत्या करके कृपया, ईश्वर को धोखा न दो।।
इस दुनिया में आने का, मुझे भी मौका तो दो।
जननी हूं जग की,
सारे जग का आधार हूं।
मुझसे ही जिन्दगी है,
मैं ही तो परिवार हूं।।
क्या बेटा क्या बेटी,
जग में दोनो समान है।
यूं न मारो मुझे कि,
अब मुझमें भी प्राण है।
जिंदगी का उपहार मुझे भी, अनोखा तो दो।
भ्रूण हत्या करके ईश्वर को कृपया धोखा न दो।।
इस दुनिया में आने का,मुझे भी मौका तो दो।
सोच पुरानी लेकर बैठे,
रहोगे कब तक
कैसे बढ़ेगा आगे वंश,
बेटियां न होगी जब तक।
शिक्षा की रोशनी से
बदल दो इस समाज को,
जो फैलाए भेदभाव
रोक दो उस रिवाज को।
अब बेटियों को तुम एक नया तोहफा तो दो।
भूर्ण हत्या करके ईश्वर को कृपया धोखा न दो।।
इस दुनिया में आने का,मुझे भी मौका तो दो।
मत छीनो इनसे ये अधिकार ,
इनको भी लेने दो आकार,
ये न हो तो कैसा जीवन
थोड़ा तुम भी करो विचार,
जीवन देकर के इनको तुम,
कुछ अच्छा तो कर्म करो,
ईश्वर भी खुश हो जाए,
कुछ ऐसा तो धर्म करो।
अपने पाप पुण्य का उसे लेख जोखा तो दो।
भूर्ण हत्या करके ईश्वर को कृपया धोखा न दो।।
इस दुनिया में आने का,मुझे भी मौका तो दो।
@साहित्य गौरव