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28 Oct 2019 · 1 min read

बेटी को रह गया

लाल जोड़े को पहन बेटी सजाना रह गया
जब चली परदेश पिय छूटा घराना रह गया

माथ पर टीका गले में हार , नथनी नाक में
कान में कुंडल सुशोभित सा हिलाना रह गया

छोड़ रिश्ते दूसरे घर में विराजे लाड़ली
लाड़ भाई का सदा को तब लड़ाना रह गया

अम्ब का अवतार नारी वो दुर्गा औ पार्वती
जान पाए सत्य मन को खटखटाना रह गया

एक संग दो दो जहाँ को वो बसाए नित्य ही
मान औ सम्मान उस पर तो लुटाना रह गया

76 Likes · 2 Comments · 351 Views
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